कितना कड़वा सच है यह...!
भारत इतना भी तो गरीब नहीं कि अपने बच्चों के लिए इतना भी न कर सके कि वे जी सकें? फिर क्यों मर रहे बच्चे? क्योंकि संवेदना मर चुकी है नेताओं की...।

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